वर्तमान समय में कर्मचारी पेंशन योजना 1995 को लेकर पूरे देश के अंदर एक आक्रोश आंदोलन हुआ है एपीस 95 न्यूनतम पेंशन 7500 की मांग अब एक घातक रूप ले चुकी है कर्नाटक में स्थित कम चारी भविष्य नीति भवन को पेंशन भोगियों ने चारों ओर से घेर लिया है और अभी भी आंदोलन जारी है।
अधिकारियों ने मांग पत्र का नही दिया जवाब लाखों पेंशन भोगियों ने न्यूनतम पेंशन बढ़ाने की मांग को लेकर अपनी आवाज उठाई उन्होंने कई अधिकारों अधिकारियों को मांग पत्र सोपा लेकिन बड़े-बड़े जिम्मेदार अधिकारियों ने भी इस पर कोई बड़ा एक्शन नहीं लिया जिसके चलते पेंशन भोगियों का गुस्सा और अधिक देखने को मिला
पेंशन भोगियों ने एनसीसी के बैनर तले विरोध प्रदर्शन किया वह सुबह 10:30 बजे से दोपहर 12:00 बजे एप्फो गुलबर्गा ऑफिस को चारों तरफ गिरकर बैठ गए लगभग 200 से अधिक पेंशन भोगियों ने इस आंदोलन में हिस्सा लिया हालांकि आंदोलन शांतिपूर्ण था।
न्यूनतम पेंशन वृद्धि को लेकर एक वास्तविक प्रस्ताव
आंदोलन शुरू होने से पहले पेंशन भोगियों सहित नेताओं ने ईपीएफओ अधिकारी को न्यूनतम पेंशन वृद्धि को लेकर एक वास्तविक प्रस्ताव रखा लेकिन अधिकारियों की तरफ से उन्हें किसी भी प्रकार का आश्वासन न मिलने के कारण यह आंदोलन और ज्यादा आक्रोश होने लगा।
वही पेंशनर सनत रावत जोक एक नेता के रूप में इस आंदोलन का मोर्चा संभाल रहे हैं उनका कहना है कि उनकी किसी भी मांग को अभी तक अधिकारियों द्वारा कोई सटीक निर्णय नहीं लिया गया है। उन्होंने कहा है कि अगर उनकी मांग को पूरा नहीं किया गया तो यह आंदोलन कई दिनों तक चलेगा।
संवाददाताओं ने लेख के माध्यम से करी सरकार की निंदा
कई संवाददाताओं ने अपनी अपनी व्याख्या करते हुए केंद्र सरकार की निंदा की है जैसे देवराज जोर से ने कहा न्यायालय के लिए लड़े वर्तमान केंद्र सरकार ने इपीएस पेंशन बगियां की पेंशन भारती को अनदेखी किया है वही अविनाश अभ्यंकर ने लिखा की सभी सांसदों के वेतन और भत्ते सुप्रीम कोर्ट द्वारा तब तक रोक जाना चाहिए जब तक सेवानिवृत्ति व्यक्तियों को पेंशन का उचित हिस्सा नहीं मिल जाता भारत एक लोकतांत्रिक देश है ना कि ब्रिटिश राज जेसी तानाशाही।